चौहान वंश की वंशावली - Vanshawali of Chauhan

चौहान वंश की वंशावली - Vanshawali of Chauhan

 
 
 
ब्रम्हाजी से लेकर पृथ्वीराज चौहान तक की वंशावली

वर्तमान इतिहासकारों ने इतिहास को 2000 से 4000 वर्षो में समेट लिया है विदेशी इतिहासकार अगर ये कार्य करे तो समझा जा सकता है की इसाई सम्प्रदाय की उत्पत्ति 2000 वर्ष पूर्व हुई और यहूदियो की 4500 वर्ष पूर्व अतः इससे पहले का इतिहास उन्हें नहीं ज्ञात है .. पर हमारे देश के इतिहासकार अगर ऐसा करे तो समझ से परे है जबकि हमारे पास रामायण महाभारत और पुराणों जैसे अनेकों एतिहासिक ग्रन्थ है जिनकी घटनाएं सत्य प्रमाणित भी होती जा रही है.. वैसे प्रमाणों की आवश्यकता सिर्फ भारतीयों को क्यूँ होती है विदेशियों के कथनों और ग्रंथो को हम बिना जांचे परखे क्यों सच मान लेते है..!
इस पोस्ट में हम आपको बता रहे है कई एतिहासिक ग्रंथो से जुटाई ऐसी जानकारी जिसके बाद हमें अपने अतीत में झाँकने में आसानी होगी.. हम जानते हैं कि सारी सृष्टी परमपिता ब्रम्हा से उत्पन्न हुई है लेकिन अब जानते है उनकी पूरी वंशावली..

1. परमपिता ब्रम्हा से प्रजापति दक्ष हुए.
2. दक्ष से अदिति हुए.
3. अदिति से बिस्ववान हुए.
4. बिस्ववान से मनु हुए जिनके नाम से हम लोग मानव कहलाते हैं.
5. मनु से इला हुए.
6. इला से पुरुरवा हुए जिन्होंने उर्वशी से विवाह किया.
7. पुरुरवा से आयु हुए.
8. आयु से नहुष हुए जो इन्द्र के पद पर भी आसीन हुए परन्तु सप्तर्षियों के श्राप के कारण पदच्युत हुए.
9. नहुष के बड़े पुत्र यति थे जो सन्यासी हो गए इसलिए उनके दुसरे पुत्र ययाति राजा हुए. ययाति के पुत्रों से ही समस्त वंश चले. ययाति के पांच पुत्र थे. देवयानी से यदु और तर्वासु तथा शर्मिष्ठा से दृहू, अनु, एवं पुरु. यदु से यादवों का यदुकुल चला जिसमे आगे चलकर श्रीकृष्ण ने जन्म लिया. तर्वासु से मलेछ, दृहू से भोज तथा पुरु से सबसे प्रतापी पुरुवंश चला. अनु का वंश ज्यादा नहीं चला.

10. पुरु के कौशल्या से जन्मेजय हुए.
11. जन्मेजय के अनंता से प्रचिंवान हुए.
12. प्रचिंवान के अश्म्की से संयाति हुए.
13. संयाति के वारंगी से अहंयाति हुए.
14. अहंयाति के भानुमती से सार्वभौम हुए.
15. सार्वभौम के सुनंदा से जयत्सेन हुए.
16. जयत्सेन के सुश्रवा से अवाचीन हुए.
17. अवाचीन के मर्यादा से अरिह हुए.
18. अरिह के खल्वंगी से महाभौम हुए.
19. महाभौम के शुयशा से अनुतनायी हुए.
20. अनुतनायी के कामा से अक्रोधन हुए.
21. अक्रोधन के कराम्भा से देवातिथि हुए.
22. देवातिथि के मर्यादा से अरिह हुए.
23. अरिह के सुदेवा से ऋक्ष हुए.
24. ऋक्ष के ज्वाला से मतिनार हुए.
25. मतिनार के सरस्वती से तंसु हुए.
26. तंसु के कालिंदी से इलिन हुए.
27. इलिन के राथान्तरी से दुष्यंत हुए.
28. दुष्यंत के शकुंतला से भरत हुए जिनके नाम पर हमारा देश भारतवर्ष कहलाता है.

29. भरत के सुनंदा से भमन्यु हुए.
30. भमन्यु के विजय से सुहोत्र हुए.
31. सुहोत्र के सुवर्णा से हस्ती हुए जिनके नाम पर पूरे प्रदेश का नाम हस्तिनापुर पड़ा.
32. हस्ती के यशोधरा से विकुंठन हुए.
33. विकुंठन के सुदेवा से अजमीढ़ हुए.
34. अजमीढ़ से संवरण हुए.
35. संवरण के तपती से कुरु हुए जिनके नाम से ये वंश कुरुवंश कहलाया.
36. कुरु के शुभांगी से विदुरथ हुए.
37. विदुरथ के संप्रिया से अनाश्वा हुए.
38. अनाश्वा के अमृता से परीक्षित हुए.
39. परीक्षित के सुयशा से भीमसेन हुए.
40. भीमसेन के कुमारी से प्रतिश्रावा हुए.
41. प्रतिश्रावा से प्रतीप हुए.
42. प्रतीप के सुनंदा से तीन पुत्र देवापि, बाह्लीक एवं शांतनु का जन्म हुआ. देवापि किशोरावस्था में ही सन्यासी हो गए एवं बाह्लीक युवावस्था में अपने राज्य की सीमाओं को बढ़ने में लग गए इसलिए सबसे छोटे पुत्र शांतनु को गद्दी मिली. शांतनु से भीष्म हुए जिनकी कहानी और वंशावली विचित्र है ..

43. शांतनु कि गंगा से देवव्रत हुए जो आगे चलकर भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुए. भीष्म का वंश आगे नहीं बढा क्योंकि उन्होंने आजीवन ब्रम्हचारी रहने की प्रतिज्ञा कि थी. शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती से चित्रांगद और विचित्रवीर्य हुए. चित्रांगद की मृत्यु युवावस्था में ही हो गयी. विचित्रवीर्य कि दो रानियाँ थी, अम्बिका और अम्बालिका. विचिचित्रवीर्य भी संतान प्राप्ति के पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो गए, लेकिन महर्षि व्यास कि कृपा से उनका वंश आगे चला.
44. विचित्रवीर्य के महर्षि व्यास की कृपा से अम्बिका से ध्रतराष्ट्र, अम्बालिका से पांडू तथा अम्बिका की दासी से विदुर का जन्म हुआ.
45. ध्रितराष्ट्र से दुर्योधन, दुहशासन, इत्यादि 100 पुत्र एवं दुशाला नमक पुत्री हुए. इनकी एक वैश्य कन्या से युयुत्सु नामक पुत्र भी हुआ जो दुर्योधन से छोटा और दुशासन से बड़ा था. इतने पुत्रों के बाद भी इनका वंश आगे नहीं चला क्योंकि इनके समूल वंश का नाश महाभारत के युद्घ में हो गया. किन्दम ऋषि के श्राप के कारण पांडू संतान उत्पत्ति में असमर्थ थे. उन्होंने अपनी दोनों पत्नियों को दुर्वासा ऋषि के मंत्र से संतान उत्पत्ति की आज्ञा दी. कुंती के धर्मराज से युधिष्ठिर, पवनदेव से भीम और इन्द्रदेव से अर्जुन हुए तथा माद्री के अश्वनीकुमारों से नकुल और सहदेव का जन्म हुआ. इन पांचो के जन्म में एक एक साल का अंतर था. जिस दिन भीम का जन्म हुआ उसी दिन दुर्योधन का भी जन्म हुआ.
46. युधिष्ठिर के द्रौपदी से प्रतिविन्ध्य एवं देविका से यौधेय हुए. भीम के द्रौपदी से सुतसोम, जलन्धरा से सवर्ग तथा हिडिम्बा से घतोत्कच हुआ. घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक हुआ. नकुल के द्रौपदी से शतानीक एवं करेनुमती से निरमित्र हुए. सह्देव के द्रौपदी से श्रुतकर्मा तथा विजया से सुहोत्र हुए. इन चारो भाइयों के वंश नहीं चले. अर्जुन के द्रौपदी से श्रुतकीर्ति, सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इलावान, तथा चित्रांगदा से बभ्रुवाहन हुए. इनमे से केवल अभिमन्यु का वंश आगे चला.

47. अभिमन्यु के उत्तरा से परीक्षित हुए. इन्हें ऋषि के श्रापवश तक्षक ने कटा और ये मृत्यु को प्राप्त हुए.
48. परीक्षित से जन्मेजय हुए. इन्होने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्पयज्ञ करवाया जिसमे सर्पों के कई जातियां समाप्त हो गयी, लेकिन तक्षक जीवित बच गया.
49. जन्मेजय से शतानीक तथा शंकुकर्ण हुए.
50. शतानीक से अश्वामेघ्दत्त हुए.
महाभारत युद्ध के पश्चात् राजा युधिष्ठिर की 30 पीढ़ियों ने 1770 वर्ष 11 माह 10 दिन तक राज्य किया

युधिष्ठिर : 36 वर्ष
परीक्षित: 60 वर्ष
जनमेजय: 84 वर्ष
अश्वमेध : 82 वर्ष
द्वैतीयरम : 88 वर्ष
क्षत्रमाल : 81 वर्ष
चित्ररथ : 75 वर्ष
दुष्टशैल्य : 75वर्ष
उग्रसेन : 78 वर्ष
शूरसेन : 78 वर्ष
भुवनपति : 61 वर्ष
रणजीत : 65 वर्ष
श्रक्षक : 64 वर्ष
सुखदेव : 62 वर्ष
नरहरिदेव : 51 वर्ष
शुचिरथ : 42 वर्ष
शूरसेन द्वितीय : 58 वर्ष
पर्वतसेन : 55 वर्ष
मेधावी : 52 वर्ष
सोनचीर : 50 वर्ष
भीमदेव : 47 वर्ष
नरहिरदेव द्वितीय : 47 वर्ष
पूरनमाल : 44 वर्ष
कर्दवी : 44 वर्ष
अलामामिक : 50 वर्ष
उदयपाल : 38 वर्ष
दुवानमल : 40 वर्ष
दामात : 32 वर्ष
भीमपाल : 58 वर्ष
क्षेमक : 48 वर्ष

क्षेमक के प्रधानमन्त्री विश्व ने क्षेमक का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 14 पीढ़ियों ने 500 वर्ष 3 माह 17 दिन तक राज्य किया

विश्व : 17 वर्ष
पुरसेनी : 42 वर्ष
वीरसेनी : 52 वर्ष
अंगशायी : 47 वर्ष
हरिजित : 35 वर्ष
परमसेनी : 44 वर्ष
सुखपाताल : 30 वर्ष
काद्रुत : 42 वर्ष
सज्ज : 32 वर्ष
आम्रचूड़ : 27 वर्ष
अमिपाल : 22 वर्ष
दशरथ : 25 वर्ष
वीरसाल: 31 वर्ष
वीरसालसेन: 47 वर्ष
वीरसालसेन के प्रधानमन्त्री वीरमाह ने वीरसालसेन का वध करके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 16 पीढ़ियों ने 445 वर्ष 5 माह 3 दिन तक राज्य किया

वीरमाह: 35 वर्ष
अजितसिंह: 27 वर्ष
सर्वदत्त: 28 वर्ष
भुवनपति: 15 वर्ष
वीरसेन: 21 वर्ष
महिपाल: 40 वर्ष
शत्रुशाल: 26 वर्ष
संघराज: 17 वर्ष
तेजपाल: 28 वर्ष
मानिकचंद: 37 वर्ष
कामसेनी: 42 वर्ष
शत्रुमर्दन: 8 वर्ष
जीवनलोक: 28 वर्ष
हरिराव: 26 वर्ष
वीरसेन द्वितीय: 35 वर्ष
आदित्यकेतु: 23 वर्ष
प्रयाग के राजा धनधर ने आदित्यकेतु का वध करके उसके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 9 पीढ़ी ने 374 वर्ष 11 माह 26 दिन तक राज्य किया

वीरमाह: 35 वर्ष
अजितसिंह: 27 वर्ष
सर्वदत्त: 28 वर्ष
भुवनपति: 15 वर्ष
वीरसेन: 21 वर्ष
महिपाल: 40 वर्ष
शत्रुशाल: 26 वर्ष
संघराज: 17 वर्ष
तेजपाल: 28 वर्ष
मानिकचंद: 37 वर्ष
कामसेनी: 42 वर्ष
शत्रुमर्दन: 8 वर्ष
जीवनलोक: 28 वर्ष
हरिराव: 26 वर्ष
वीरसेन द्वितीय: 35 वर्ष
आदित्यकेतु: 23 वर्ष
प्रयाग के राजा धनधर ने आदित्यकेतु का वध करके उसके राज्य को अपने अधिकार में कर लिया और उसकी 9 पीढ़ी ने 374 वर्ष 11 माह 26 दिन तक राज्य किया

धनधर : 23 वर्ष
महर्षि : 41 वर्ष
संरछि : 50 वर्ष
महायुध: 30 वर्ष
दुर्नाथ: 28 वर्ष
जीवनराज: 45 वर्ष
रुद्रसेन: 47 वर्ष
आरिलक: 52 वर्ष
राजपाल: 36 वर्ष
सामन्त महानपाल ने राजपाल का वध करके 14 वर्ष तक राज्य किया। अवन्तिका (वर्तमान उज्जैन) के विक्रमादित्य ने महानपाल का वध करके 93 वर्ष तक राज्य किया। विक्रमादित्य का वध समुद्रपाल ने किया और उसकी 16 पीढ़ियों ने 372 वर्ष 4 माह 27 दिन तक राज्य किया

समुद्रपाल: 54 वर्ष
चन्द्रपाल: 36 वर्ष
सहपाल: 11 वर्ष
देवपाल: 27 वर्ष
नरसिंहपाल: 18 वर्ष
सामपाल: 27 वर्ष
रघुपाल: 22 वर्ष
गोविन्दपाल: 27 वर्ष
अमृतपाल: 36 वर्ष
बालिपाल: 12 वर्ष
महिपाल: 13 वर्ष
हरिपाल: 14 वर्ष
सीसपाल: 11 वर्ष (कुछ ग्रंथों में सीसपाल के स्थान पर भीमपाल का उल्लेख मिलता है, सम्भव है कि उसके दो नाम रहे हों।)
मदनपाल: 17 वर्ष
कर्मपाल: 16 वर्ष
विक्रमपाल: 24 वर्ष
विक्रमपाल ने पश्चिम में स्थित राजा मालकचन्द बोहरा के राज्य पर आक्रमण कर दिया जिसमे मालकचन्द बोहरा की विजय हुई और विक्रमपाल मारा गया। मालकचन्द बोहरा की 10 पीढ़ियों ने 191 वर्ष 1 माह 16 दिन तक राज्य किया

मालकचन्द: 54 वर्ष
विक्रमचन्द: 12 वर्ष
मानकचन्द: 10 वर्ष
रामचन्द: 13 वर्ष
हरिचंद:14 वर्ष
कल्याणचन्द: 10 वर्ष
भीमचन्द: 16 वर्ष
लोवचन्द: 26 वर्ष
गोविन्दचन्द: 31 वर्ष
रानी पद्मावती: 1 वर्ष

रानी पद्मावती गोविन्दचन्द की पत्नी थीं। कोई सन्तान न होने के कारण पद्मावती ने हरिप्रेम वैरागी को सिंहासनारूढ़ किया जिसकी 4 पीढ़ियों ने 50 वर्ष 0 माह 12 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

हरिप्रेम: 7 वर्ष
गोविन्दप्रेम: 20 वर्ष
गोपालप्रेम : 15 वर्ष
महाबाहु: 6 वर्ष
महाबाहु ने सन्यास ले लिया। इस पर बंगाल के अधिसेन ने उसके राज्य पर आक्रमण कर अधिकार जमा लिया। अधिसेन की 12 पीढ़ियों ने 152 वर्ष 11 माह 2 दिन तक राज्य किया

अधिसेन: 18 वर्ष
विल्वसेन: 12 वर्ष
केशवसेन: 15 वर्ष
माधवसेन: 12 वर्ष
मयूरसेन: 20 वर्ष
भीमसेन: 5 वर्ष
कल्याणसेन: 4 वर्ष
हरिसेन: 12 वर्ष
क्षेमसेन: 8 वर्ष
नारायणसेन: 2 वर्ष
लक्ष्मीसेन: 26 वर्ष
दामोदरसेन: 11 वर्ष
दामोदरसेन ने उमराव दीपसिंह को प्रताड़ित किया तो दीपसिंह ने सेना की सहायता से दामोदरसेन का वध करके राज्य पर अधिकार कर लिया तथा उसकी 6 पीढ़ियों ने 107 वर्ष 6 माह 22 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

दीपसिंह: 17 वर्ष
राजसिंह: 14 वर्ष
रणसिंह: 9 वर्ष
नरसिंह: 45 वर्ष
हरिसिंह: 13 वर्ष
जीवनसिंह: 8 वर्ष
पृथ्वीराज चौहान ने जीवनसिंह पर आक्रमण करके तथा उसका वध करके राज्य पर अधिकार प्राप्त कर लिया। पृथ्वीराज चौहान की 5 पीढ़ियों ने 86 वर्ष 20 दिन तक राज्य किया जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है

पृथ्वीराज: 12 वर्ष
अभयपाल: 14 वर्ष
दुर्जनपाल: 11 वर्ष
उदयपाल: 11 वर्ष
यशपाल: 36 वर्ष
विक्रम संवत 1249 (1193 AD) में मोहम्मद गोरी ने यशपाल पर आक्रमण कर उसे प्रयाग के कारागार में डाल दिया और उसके राज्य को अधिकार में ले लिया।
 

Kalyani Pandey

Managing Director Business Solution

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Posted: 04 May 2017